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चाणक्य नीति - प्रथमोऽध्यायः श्लोक 15 का अर्थ


नदीनां शस्त्रपाणीनांनखीनां श‍ऋंगिणां तथा ।
विश्वासो नैव कर्तव्यः स्त्रीषु राजकुलेषु च ॥ 15 ॥

श्लोक का विवेचन:


नदीनां शस्त्रपाणीनांनखीनां श‍ऋंगिणां तथा ।

इस श्लोक में कहा गया है कि नदीओं, शस्त्रों के साथी, नखों वालों, और श‍ऋंगियों के साथी सबमें विश्वास नहीं करना चाहिए।


विश्वासो नैव कर्तव्यः स्त्रीषु राजकुलेषु च ॥ 15 ॥

और यहां यह बताया गया है कि स्त्रीओं और राजकुलों में से भी विश्वास नहीं करना चाहिए।


इस श्लोक का सारांश:

यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी विवेकपूर्णता को बनाए रखना चाहिए और सभी मामलों में बिना समझे-समझे विश्वास नहीं करना चाहिए। नदी, शस्त्री, नखी, और श‍ऋंगी - इन सभी में विश्वास रखना अनुचित है क्योंकि ये व्यक्तियों और चीजों की अस्थिरता और अनिश्चितता को दर्शाते हैं। इस श्लोक से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हर किसी पर बिना विचार किए-समझे विश्वास नहीं करना चाहिए और विवेकपूर्णता से सही और गलत को पहचानना चाहिए।

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