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चाणक्य नीति - प्रथमोऽध्यायः श्लोक 17 का अर्थ

स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा ।
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥ 17 ॥

श्लोक का विवेचन:


स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा ।

इस श्लोक में कहा गया है कि स्त्रीओं का आहार दोगुण, लज्जा चारगुण होती है।


साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥ 17 ॥

और यहां यह बताया गया है कि स्त्रीओं का साहस छः गुणा होता है और काम का आठगुण होता है।


इस श्लोक का सारांश:

यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि स्त्रीएं अपने आहार में मापदंड का ध्यान रखती हैं और उनकी लज्जा भी चारगुण होती है। इसके साथ ही, उनमें साहस की भावना भी छः गुणा होती है, जो उन्हें कठिन परिस्थितियों के सामना करने में सहायक होती है। यह श्लोक महिलाओं की गुणवत्ता और उनकी शक्तियों को समझाने का प्रयास करता है। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि स्त्रीएं समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उन्हें समर्पित करने का सम्मान और समर्थन मिलना चाहिए।

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