Thursday

मृत शरीर को भूमि मेँ गाडने का क्या रहस्य है?

मृत शरीर को भूमि मेँ गाडने का क्या रहस्य है?

ऐसा नहीं है कि मुसलमानो और इसाईयोँ को ही सिर्फ जमीन में गाड़ा जाता है
.. बल्कि हिन्दुओ में भी ऐसा है पर ये सिर्फ नवजात बच्चों के लिए अपनायी
जाने वाली प्रक्रिया है .. आखिर जलाने के जगह गाड़ने का कारण क्या है ?
जो नवजात बच्चे होते हैं वो परिपक्व नहीं होते .. बल्कि थोड़े भी नहीं
होते जिनको सिर्फ़ खाना, सोना और मैला करना आता है। ऐसे अपरिपक्व बच्चोँ
या जीवात्माओ को जलाया नही जा सकता क्युंकि एसी अपरिपक्व जीवाअत्माएं
शरीर से अलग होने के बाद पृथ्वी के वायुमण्डल को भेद नहीं सकती और भटक
जाया करती हैं और लोगों को पीड़ित करती हैं। आपने तो देखा ही होगा बच्चो
के व्यव्हार को जो अच्छा लगा जिद करने लगे, या पसंद आई वस्तू छुड़ा ली सब
अपना ही दिखता है उनको यही कारण है जब किसी कारण बच्चो की अकाल मृत्यू
होती है तो इच्छाओ की पूर्ती न होने के कारण वे गति को प्राप्त नही कर
सकती । अतः एसे मे यदि इनके शरीरो को जला दिया जाय तो निशचय ही यह
आत्माएं भटक जायेंगी अतः इनके शरीरो को गाड़ दिया जाता है जिससे वे आतमाएं
स्थिर रहें और परिवार जन उनकी आत्मा की मुक्ती के लिये विषेश प्रयास कर
सकें। जलाया उन मृतको के शरीरो को है जो परिपक्व हो
चुके हो अच्छा बुरा जानते हों अपने और दूसरे के
अधिकारो आदि को समझते हो । जिनको शास्त्रो
के ज्ञान से पहले ही बता दिया गया हो की जलने
के बाद आत्मा की मुक्ति है और आपको क्या क्या
अनुभव होने वाला है ..
अब आप सोच सकते हैं कि मुसलमानो और ईसाईयों मे
गाड़ा जाने का क्या अर्थ है । ये लोग जीते जी
नवजात बच्चों की तरह दिमाग रख कर मरते भी हैं ..
ये पूरी जिंदगी अपने द्वारा किये जा रहे गलत कामो
को गलत नहीं कहते.. हमेशा भोग विलास में डूबे रहते है
और इस इच्छा के साथ मरते हैं कि मरने के बाद भी 72
हूर आदि के साथ भोग विलास करने को मिलेगा..
मुस्लिम भी दुनिया में सिर्फ खाना,
सोना और मैला करने के सिवा करते ही क्या हैं? यह बात अल्लाह नाम का एक
आदमी जानता था। और इसाईयोँ मेँ बाइबिल लिखने बाला भी जानता था। क्योंकि
उसी ने तो ये सब काल्पनिक हवाइमहल लिखा था तो वो जानता था की इसकी आत्मा
की मुक्ति सम्भव ही नहीं है ...मरने के बाद मुसलमान की आत्मा बच्चों की
तरह "हूर दो ... हूर दो" चिल्लायेगी .. जिद करेंगे.. और वहाँ कुछ तो है
नहीं .. इसलिए उसने बता दिया कि तुमलोगों को गाड़ने के सिवा और कोई रास्ता
है नहीं लेकिन ये बात कहना ठीक नहीं था तो मजहब के नाम पर ऐसा कानून ही
बना दिया .. सारे मुसलमानो की 72 हूरों की इच्छा को इसलिए दफ़न किया जाता
है।

No comments:

Post a Comment