ऐतिहासिक शहर एटलांटिस से जुड़ी कई कहानियां मशहूर हैं। कई वैज्ञानिकों और इतिहासकारों को भी इसके होने का पूरा यकीन है। माना जाता है कि यह शहर एशिया से भी बड़ा था, लेकिन एक दिन समुद्र इसे निगल गया।
एक पूरा शहर पानी में डूब गया और इतिहासकार उसे आज तक खोजने में लगे हैं। यह है ग्रीक सभ्यता का शहर ‘एंटलाटिस’। इसे एटलांटिस का खोया हुआ शहर भी कहते हैं। माना जाता है कि अटलांटिक महासागर में एटलांटिस एक टापू पर स्थित था। इस शहर का जिक्र यूनान के दार्शनिक और गणितज्ञ प्लेटो की कहानियों में मिलता है। 360 ईसा पूर्व प्लेटो ने इसे दुनिया का सर्वाधिक सभ्य नागरिक सभ्यता का केंद्र माना था। समुद्र में डूबकर एक पहेली बन जाने वाले इस शहर को पूरे यूरोप का केंद्र भी कहा जाता रहा।
समय-समय पर इतिहासकार दावा करते रहे हैं कि यह शहर अब भी कहीं अटलांटिक महासागर में दफन है और इसके सबूत मिलते रहे हैं। मशहूर लेखक चार्ल्स बर्लिट्ज ने भी अपनी किताब ‘द मिस्ट्री ऑफ एटलांटिस’ में इसके अस्तित्व को साबित किया है और इसके गायब होने को बरमुडा ट्राएंगल की तरह ही रहस्यमयी माना है। कई वैज्ञानिकों और इतिहासकारों का मानना है कि वे एक ना एक दिन इस शहर को भी खोज लेंगे।
तो सच क्या है?
अब तक एटलांटिस शहर का अस्तित्व दार्शनिक प्लेटो की कल्पना ही माना जाता है। कोई भी इतिहासकार इस शहर के होने के दावे को साबित नहीं कर सका है, क्योंकि अब तक इस शहर का कोई भी अवशेष समुद्रतल में नहीं खोजा जा सका। इसका क्षेत्रफल पूरे एशिया के क्षेत्रफल से भी ज्यादा बताया जाता है। ऐसे में यह असंभव लगता है कि इतना बड़ा क्षेत्र ओशियोग्राफी की आधुनिक तकनीकों, पनडुब्बियों और गहन खोज के बावजूद वैज्ञानिकों की नजरों से बचा रह जाए। प्लेटो की कहानी भी अटलांटिक महासागर के जिस हिस्से में इसके होने का दावा करती है, वहां इतनी बड़ी जगह ही नहीं है, जिसमें यह विशाल शहर समा सके। क्या समुद्र पूरे शहर को निगल सकता है? दुनियाभर में इतिहास में जिज्ञासा रखने वाले लोग आज भी ‘खोए’ हुए शहर एटलांटिस को ढूंढ रहे हैं।
एक पूरा शहर पानी में डूब गया और इतिहासकार उसे आज तक खोजने में लगे हैं। यह है ग्रीक सभ्यता का शहर ‘एंटलाटिस’। इसे एटलांटिस का खोया हुआ शहर भी कहते हैं। माना जाता है कि अटलांटिक महासागर में एटलांटिस एक टापू पर स्थित था। इस शहर का जिक्र यूनान के दार्शनिक और गणितज्ञ प्लेटो की कहानियों में मिलता है। 360 ईसा पूर्व प्लेटो ने इसे दुनिया का सर्वाधिक सभ्य नागरिक सभ्यता का केंद्र माना था। समुद्र में डूबकर एक पहेली बन जाने वाले इस शहर को पूरे यूरोप का केंद्र भी कहा जाता रहा।
समय-समय पर इतिहासकार दावा करते रहे हैं कि यह शहर अब भी कहीं अटलांटिक महासागर में दफन है और इसके सबूत मिलते रहे हैं। मशहूर लेखक चार्ल्स बर्लिट्ज ने भी अपनी किताब ‘द मिस्ट्री ऑफ एटलांटिस’ में इसके अस्तित्व को साबित किया है और इसके गायब होने को बरमुडा ट्राएंगल की तरह ही रहस्यमयी माना है। कई वैज्ञानिकों और इतिहासकारों का मानना है कि वे एक ना एक दिन इस शहर को भी खोज लेंगे।
तो सच क्या है?
अब तक एटलांटिस शहर का अस्तित्व दार्शनिक प्लेटो की कल्पना ही माना जाता है। कोई भी इतिहासकार इस शहर के होने के दावे को साबित नहीं कर सका है, क्योंकि अब तक इस शहर का कोई भी अवशेष समुद्रतल में नहीं खोजा जा सका। इसका क्षेत्रफल पूरे एशिया के क्षेत्रफल से भी ज्यादा बताया जाता है। ऐसे में यह असंभव लगता है कि इतना बड़ा क्षेत्र ओशियोग्राफी की आधुनिक तकनीकों, पनडुब्बियों और गहन खोज के बावजूद वैज्ञानिकों की नजरों से बचा रह जाए। प्लेटो की कहानी भी अटलांटिक महासागर के जिस हिस्से में इसके होने का दावा करती है, वहां इतनी बड़ी जगह ही नहीं है, जिसमें यह विशाल शहर समा सके। क्या समुद्र पूरे शहर को निगल सकता है? दुनियाभर में इतिहास में जिज्ञासा रखने वाले लोग आज भी ‘खोए’ हुए शहर एटलांटिस को ढूंढ रहे हैं।
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