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हाथी और कृतज्ञ मौसे की कहानी (The Elephant and the Grateful Mouse): The Story of Panchatantra


बहुत समय पहले की बात है, एक बार जंगल की गहराईयों में, एक हाथी नामक विशालकाय जानवर बसा हुआ था। इस हाथी की बड़ी आंखों में बुद्धिमता की किरणें चमक रही थीं। वह जंगल का राजा था, और उसका साम्राज्य पूरे जंगल में फैला हुआ था।

एक दिन, हाथी जंगल में एक पिचकारी से चलती हुई आवाज सुना। वह जल्दी से वहां पहुँचा और देखा कि एक छोटा सा मौसा एक पिचकारी के अंदर फंसा हुआ था। हाथी ने उस मौसे को बाहर निकालने के लिए अपनी बड़ी राहती निकाली।

मौसे ने हाथी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और उसने कहा, "धन्यवाद हाथी भगवान! आपने मेरी जान बचाई। मैं आपकी इस महानता का हमेशा कृतज्ञ रहूँगा।"

हाथी ने मौसे की मुस्कान को देखकर खुश होकर कहा, "तुम्हारी कृतज्ञता मेरे लिए पुरानी दोस्ती बना लेती है। हम अब दोस्त बनेंगे और एक दूसरे की मदद करेंगे।"

इसके बाद, हाथी और मौसे एक-दूसरे के साथ जंगल के सफर पर निकले। मौसे ने हाथी को अपनी तरह छोटे-छोटे रास्तों का रास्ता दिखाया, जो हाथी को कभी पहले नहीं दिखा था। हाथी ने मौसे की बुद्धिमता की सराहना की और उन्होंने दोनों मिलकर जंगल के रहस्यमय स्थानों को खोजा।

एक दिन, जंगल में एक विशालकाय साँप दिखाई दिया। वह साँप बहुत ही विषैला था और जंगल के लोग उससे बहुत डरते थे। हाथी ने देखा कि लोग उस साँप से बहुत डरते हैं और वह उन्हें कुछ नहीं कहता है।

मौसे ने हाथी से कहा, "हाथी भगवान, हमें उस साँप से डर नहीं होना चाहिए। हमें उससे मित्रता करनी चाहिए और उसकी मदद करनी चाहिए।"

हाथी ने मौसे की बातों को गहराई से सुना और उसने इस प्रस्ताव को मन्जूरी दी। हाथी ने साँप से बातचीत की और उसे सहायता करने का प्रस्ताव दिया।

साँप ने खुश होकर हाथी और मौसे का साथी बना लिया। उसने जंगल के लोगों को दिखाया कि वह किसी के भी लिए खतरनाक नहीं है और वह भी जंगल का हिस्सा है।

इसी दौरान, एक दिन, जंगल में अचानक आग लग गई। जंगलवासी भगवान गणेश की आराधना के लिए एक बड़ा यज्ञ कर रहे थे और आग उस यज्ञ की चिन्ह बन गई थी।

जंगलवासी बहुत ही परेशान हो रहे थे क्योंकि आग को बुझाने के लिए उनके पास उपयुक्त साधन नहीं थे। हाथी, मौसे, और साँप ने मिलकर विचार किया कि कैसे उन्हें मदद कर सकते हैं।

मौसे ने सोचा कि वह अपने छोटे आकार के कारण आग के पास पहुंच सकता है और साँप ने सोचा कि वह अपने बड़े बुजुर्ग होने के कारण आग को बुझा सकता है। हाथी ने सोचा कि वह अपनी बड़ी त्रावण से जल सकता है और आग को बुझा सकता है।

तीनों ने मिलकर अपनी योजना को क्रियान्वित किया और आग को बुझाने के लिए साथ मिलकर प्रयास किया। उनकी मेहनत और सामूहिकता ने आग को बुझा दिया और जंगलवासियों की बड़ी संख्या में समर्थन मिला।

इसके बाद, जंगलवासी हाथी, मौसे, और साँप की बुद्धिमत्ता और सहयोग की प्रशंसा करने लगे। हाथी, मौसे, और साँप ने जंगल को मिलकर सुरक्षित और आनंदमय बनाए रखा।



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