धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को महाकाल भी कहा गया है। महाकाल का अर्थ है काल यानी मृत्यु भी जिसके अधीन हो। भगवान शिव जन्म-मृत्यु से मुक्त हैं। अनेक धर्म ग्रंथों में भगवान शंकर को अनादि व अजन्मा बताया गया है। भगवान शंकर से संबंधित अनेक धर्मग्रंथ प्रचलित हैं, लेकिन शिवपुराण उन सभी में सबसे अधिक प्रामाणिक माना गया है।
इस ग्रंथ में भगवान शिव से संबंधित अनेक रहस्यमयी बातें बताई गई हैं। इसके अलावा इस ग्रंथ में ऐसी अनेक बातें लिखी हैं, जो आमजन नहीं जानते। शिवपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए हैं। इन संकेतों को समझकर यह जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति की मौत कितने समय में हो सकती है। ये संकेत इस प्रकार हैं-
1- शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बैचेनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।
2- जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें। उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।
3- शिवपुराण में भगवान शिव ने बताया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
4- यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी। जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।
5- जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरूंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।
6- त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।
7- जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।
8- जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास तक ही जीवित रहता है।
9- जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्यमंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
10- जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहू से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घुमती दिखाई देती हैं, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।
11- शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।
12- शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।
इस ग्रंथ में भगवान शिव से संबंधित अनेक रहस्यमयी बातें बताई गई हैं। इसके अलावा इस ग्रंथ में ऐसी अनेक बातें लिखी हैं, जो आमजन नहीं जानते। शिवपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए हैं। इन संकेतों को समझकर यह जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति की मौत कितने समय में हो सकती है। ये संकेत इस प्रकार हैं-
1- शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बैचेनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।
2- जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें। उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।
3- शिवपुराण में भगवान शिव ने बताया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
4- यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी। जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।
5- जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरूंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।
6- त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।
7- जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।
8- जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास तक ही जीवित रहता है।
9- जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्यमंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती। ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
10- जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहू से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घुमती दिखाई देती हैं, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।
11- शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।
12- शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।
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