बिल्वपत्र की महत्ता।
हरि ॐ नम: शिवाय~-~-~-~-~-·····~-~-~-~-~-
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई
जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से
जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत
चमत्कारी है---
पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष
पूजन करना चाहिए। इस पूजन से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी
मुक्त हो जाता है।
क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता। इसका
मतलब यह है कि लंबे समय तक शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा
सकता है या बर्फीले स्थानों के शिवालयों में अनुपलब्धता की स्थिति में
बिल्वपत्र चूर्ण भी चढाने का विधान मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी
पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक
औषधि के रूप में काम आता है।
शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
भक्त को जीवन में कभी भी पैसों की कोई समस्या नहीं रहती है।
शास्त्रों में बताया गया है जिन स्थानों पर बिल्ववृक्ष हैं वह स्थान काशी
तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र है। ऐसी जगह जाने पर अक्षय्य पुण्य की
प्राप्ति होती है।
बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व
दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन
नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न
होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।
ध्यान रखें इन कुछ तिथियों पर बिल्वपत्र नहीं तोडना चाहिए। ये तिथियां
हैं चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा,
संक्रान्ति और सोमवार तथा प्रतिदिन दोपहर के बाद बिल्वपत्र नहीं तोडना
चाहिए। ऐसा करने पर पत्तियां तोडऩे वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है।
शास्त्रों के अनुसार बिल्व का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है,
उत्तर दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और मध्य में हो तो मधुर जीवन
बनता है।
घर में बिल्ववृक्ष लगाने से परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों के
प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं। इस वृक्ष के प्रभाव से सभी सदस्य यशस्वी
होते हैं, समाज में मान-सम्मान मिलता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
बिल्ववृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है।
बिल्व की जड़ का जल सिर पर लगाने से सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य मिल जाता है।
गंध, फूल, धतूरे से जो बिल्ववृक्ष के जड़ की पूजा करता है, उसे संतान और
सभी सुख मिल जाते हैं।
बिल्ववृक्ष की बिल्वपत्रों से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्ति मिल जाती हैं।
जो बिल्व की जड़ के पास किसी शिव भक्त को घी सहित अन्न या खीर दान देता
है, वह कभी भी धनहीन या दरिद्र नहीं होता। क्योंकि यह श्रीवृक्ष भी
पुकारा जाता है। यानी इसमें देवी लक्ष्मी का भी वास होता है।
-->बिल्व पत्र, वृक्ष की महत्ता प्रतिपादित करता हुआ---
******************************
●|●| बिल्वाष्टक स्तोत्रम् |●|●
******************************
●त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहार बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥१॥
●त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥२॥
●अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥३॥
●शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञ महापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥४॥
●दन्तिकोटिसहस्राणि वाजपेयशतानि च ।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥५॥
●लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥६॥
●दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥७॥
●मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे ।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥८॥
●बिल्वाष्टकमिदंपुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: शिवलोकमवाप्नुयात् ।।9।।
हरि ॐ नम: शिवाय~-~-~-~-~-·····~-~-~-~-~-
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई
जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से
जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत
चमत्कारी है---
पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष
पूजन करना चाहिए। इस पूजन से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी
मुक्त हो जाता है।
क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता। इसका
मतलब यह है कि लंबे समय तक शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा
सकता है या बर्फीले स्थानों के शिवालयों में अनुपलब्धता की स्थिति में
बिल्वपत्र चूर्ण भी चढाने का विधान मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी
पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक
औषधि के रूप में काम आता है।
शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
भक्त को जीवन में कभी भी पैसों की कोई समस्या नहीं रहती है।
शास्त्रों में बताया गया है जिन स्थानों पर बिल्ववृक्ष हैं वह स्थान काशी
तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र है। ऐसी जगह जाने पर अक्षय्य पुण्य की
प्राप्ति होती है।
बिल्वपत्र उत्तम वायुनाशक, कफ-निस्सारक व जठराग्निवर्धक है। ये कृमि व
दुर्गन्ध का नाश करते हैं। इनमें निहित उड़नशील तैल व इगेलिन, इगेलेनिन
नामक क्षार-तत्त्व आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं। चतुर्मास में उत्पन्न
होने वाले रोगों का प्रतिकार करने की क्षमता बिल्वपत्र में है।
ध्यान रखें इन कुछ तिथियों पर बिल्वपत्र नहीं तोडना चाहिए। ये तिथियां
हैं चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा,
संक्रान्ति और सोमवार तथा प्रतिदिन दोपहर के बाद बिल्वपत्र नहीं तोडना
चाहिए। ऐसा करने पर पत्तियां तोडऩे वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है।
शास्त्रों के अनुसार बिल्व का वृक्ष उत्तर-पश्चिम में हो तो यश बढ़ता है,
उत्तर दक्षिण में हो तो सुख शांति बढ़ती है और मध्य में हो तो मधुर जीवन
बनता है।
घर में बिल्ववृक्ष लगाने से परिवार के सभी सदस्य कई प्रकार के पापों के
प्रभाव से मुक्त हो जाते हैं। इस वृक्ष के प्रभाव से सभी सदस्य यशस्वी
होते हैं, समाज में मान-सम्मान मिलता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।
बिल्ववृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है।
बिल्व की जड़ का जल सिर पर लगाने से सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य मिल जाता है।
गंध, फूल, धतूरे से जो बिल्ववृक्ष के जड़ की पूजा करता है, उसे संतान और
सभी सुख मिल जाते हैं।
बिल्ववृक्ष की बिल्वपत्रों से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्ति मिल जाती हैं।
जो बिल्व की जड़ के पास किसी शिव भक्त को घी सहित अन्न या खीर दान देता
है, वह कभी भी धनहीन या दरिद्र नहीं होता। क्योंकि यह श्रीवृक्ष भी
पुकारा जाता है। यानी इसमें देवी लक्ष्मी का भी वास होता है।
-->बिल्व पत्र, वृक्ष की महत्ता प्रतिपादित करता हुआ---
******************************
●|●| बिल्वाष्टक स्तोत्रम् |●|●
******************************
●त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहार बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥१॥
●त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥२॥
●अखण्डबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥३॥
●शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञ महापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥४॥
●दन्तिकोटिसहस्राणि वाजपेयशतानि च ।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥५॥
●लक्ष्म्या: स्तनत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥६॥
●दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥७॥
●मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे ।
अग्रत: शिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥८॥
●बिल्वाष्टकमिदंपुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: शिवलोकमवाप्नुयात् ।।9।।
No comments:
Post a Comment